Situation Based, Love Related, Hindi Poetry

प्यारे भाईयों,
इंसानी मादाओं को शायरी बहुत पसंद आती है । समझ भले ही न आती हो । 
खासकर अगर आप प्यार नामक बीमारी से ग्रस्त हैं तो ऐसे बहुत से मौके आयेंगे जब आपको शायरी की ज़रुरत पड़ेगी । 
नीचे लिखी शायरी मेरी खुद की मौलिक रचनाएँ हैं और आप इनका उपयोग करने को पूर्णतया स्वतंत्र हैं बशर्ते आपके इस्तेमाल से किसी को व्यावसायिक लाभ ना मिले और आपके इस्तेमाल के फलस्वरूप मेरा चरण-पादुकाओं से सत्कार ना हो । 

Dear Bros.,

The human female totally adores poetry, even though they may not completely understand it, at times.
If you have been bitten by the love-bug then you shall inevitably look towards poetry as a recourse at one time or the other.
The literary gems below are my original and authentic creations and you are absolutely allowed to use them as long as no commercial benefit is derived from their use, and I don't face the dire consequences of said "use".

ENJOY!

*जब एहसास दिलाना हो की उनकी याद आती है :-

हम तेरी याद के दरिया मे गोते खा रहे हैं,
कि लम्हा कटता नही और साल काटे जा रहे हैं |

हमारी शामों का तो बस कुछ हाल ना पूछो,
कि तुम दिया और हम अपना दिल जला रहे हैं |




तुम्हारा साथ मिल जाए,
तो लम्हे यूँ ही बीतेंगे |
हार का गम भी बाटेंगे,
तुम्हारे साथ जीतेंगे |

ज़माने की जमघट मे जब
हम थोड़े तन्हा से होंगे,
तुम्हारी याद के ज़रिए,
ज़रा सा मुस्कुरा लेंगे |






* जब आपकी प्रियतमा किसी और की धर्मपत्नी बनने जा हो :-


हमने दिल लगाया और वो दिल्लगी समझ बैठे,
और हम मज़ाक में ही दिल वाले हो गए ।

उनकी होठों का जाम मयस्सर ना हुआ तो क्या,
हम तो बस दीदार से मतवाले हो गए ।



कसम खायी थी कभी की तुम्हे रुस्वा ना करेंगे,
तुम हंसती रही और सब हमसे रुस्वा हो गए ।

ज़माने की जुदाई का हमे कुछ गम नहीं जानम,
गम है तो बस ये की क्यूँकर तुम्ही से जुदा हो गए ।



तुम्हारी आँखों में ही देखे थे हमने ख्वाब सब कल के,
कि कल जब आज हुआ तब हम बेकल क्यों हो गए ।

गर कुर्बानियां ही होती है इश्क़ का इम्तेहान,
तो अफ़सोस है की हम यहाँ अव्वल क्यों हो गए ।







* जब आपको नींद आ रही हो और प्रियतमा को सोने की वजह बतानी हो :-


तेरा दीदार करने के बस दो ही रास्ते हैं,
की आँखें बंद कर लूँ मैं या आँखें बंद ही कर लूँ ।

तेरी बाँहों में जीना अब मुनासिब तो नहीं लगता,
यूँ ही जीने से अच्छा तो मैं तेरी याद में मर लूँ ।

मगर ये जान तेरे दर पे गिरवी छोड़ आया हूँ,
तो क्यों न आँखें मीचे, ख्वाब में, दीदार ही कर लूँ ।






* जब आपके सर पे प्यार और प्रियतमा के सर पे परीक्षाओं का भूत सवार हो :-

उनकी आँखों ने किताबी लफ़्ज़ों में ज़िन्दगी ढूंढ ली,
हमारे तो लफ्ज़ भी उनकी ही आँखों में खो गए ।

उन्होंने पलकें उठा के भी नहीं देखा हमें फिर भी,
झुकी पलकों की झलक देख कर हम उनके हो गए ।

हमने कहा क्या मौसम है, आज प्यार करने दो,
उसने कहा exam है जानू, please पढ़ने दो ।

उसकी पढ़ाई से तो मेरी मम्मी हैं परेशान,
कहती है पोते का मुँह देख के तो मरने दो !






*जब आप को जो पसंद हो, उसे आधा स्कूल/कॉलेज पसंद करता हो 

तेरे हुस्न के आशिक़ हैं बहुत लेकिन,
उनको देख मुझे रंज-ओ-ग़म नहीं होता ।

हुस्न-ए-ताज का दीवाना है सारा जहाँ,
शाहजहाँ का मगर प्यार कम नहीं होता ।



*जब आप अपने एक-तरफ़ा प्यार से खुश हों


हमारा इश्क़ गर मंज़िल तलक
ना हो पाया तो क्या,
तेरे दीदार से आगे झलक़
ना हो पाया तो क्या |

हर रात तेरी याद से
शब-ए-बारात हो गयी |
तुझसे आगे कहीं मेरा फलक
ना हो पाया तो क्या |

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